जैन धर्म ग्रंथ: प्रमुख ग्रंथ, रचयिता और उनका महत्व

जैन धर्म ग्रंथ: प्रमुख ग्रंथ, रचयिता और उनका महत्व

जैन धर्म ग्रंथ: सम्पूर्ण जानकारी

जैन धर्म भारतीय संस्कृति का एक प्राचीन धर्म है जो अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, और आत्म-शुद्धि के सिद्धांतों पर आधारित है। इस धर्म के साहित्य में जैन धर्म ग्रंथ विशेष स्थान रखते हैं, जो धर्म के सिद्धांतों, आचरण, और आध्यात्मिक मार्ग को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करते हैं।

नीचे जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथों और उनसे संबंधित जानकारी का विवरण दिया गया है।


जैन धर्म ग्रंथ का नाम क्या है?

जैन धर्म के ग्रंथ दो मुख्य भागों में विभाजित हैं:

  1. आगम ग्रंथ (श्वेतांबर संप्रदाय के ग्रंथ)
  2. षट्खंडागम (दिगंबर संप्रदाय के ग्रंथ)

आगम ग्रंथ को भगवान महावीर के शिष्यों ने संकलित किया था, और ये 45 ग्रंथों का संग्रह है। षट्खंडागम आचार्य पुष्पदंत और भूतबली द्वारा रचित है और यह दिगंबर संप्रदाय का प्रमुख ग्रंथ है।


जैन धर्म की प्रसिद्ध पुस्तक कौन सी है?

  • श्वेतांबर संप्रदाय:
    • उत्तराध्ययन सूत्र
    • दशवैकालिक सूत्र
  • दिगंबर संप्रदाय:
    • षट्खंडागम
    • समयसार

जैन धर्म का पवित्र ग्रंथ क्या है?

जैन धर्म के दो प्रमुख पवित्र ग्रंथ हैं:

  1. आगम ग्रंथ (श्वेतांबर संप्रदाय)
  2. षट्खंडागम (दिगंबर संप्रदाय)

इनमें जैन धर्म के सिद्धांत, नैतिकता, ध्यान, और मोक्ष का मार्ग विस्तार से वर्णित है।


जैन साहित्य का प्रथम ग्रंथ कौन सा था?

जैन साहित्य का प्रथम और प्रमुख ग्रंथ षट्खंडागम है, जो दिगंबर परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यह ग्रंथ कर्म सिद्धांत का विस्तृत विवरण प्रदान करता है।


प्रमुख जैन ग्रंथ और उनके रचयिता

ग्रंथ का नामरचयिता का नाममहत्व
षट्खंडागमआचार्य पुष्पदंत, भूतबलीकर्म सिद्धांत का विस्तृत विवरण।
तत्त्वार्थसूत्रआचार्य उमास्वातिजैन दर्शन का सार।
समयसारआचार्य कुंदकुंदआत्मा की शुद्धि पर केंद्रित।
आदिपुराणआचार्य जिनसेनप्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की शिक्षाएँ।
उत्तरपुराणआचार्य गुणभद्रतीर्थंकरों के जीवन की कथाएँ।
गोम्मटसार, क्षपणसारआचार्य नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्तीकर्म और आत्मा के विषय में विशेष।
रत्नकरण्ड श्रावकाचारआचार्य समंतभद्रश्रावकों के लिए आचार नियम।
प्रमाणसंग्रहआचार्य अकलंकतर्क और प्रमाणों का संग्रह।

विशेष जानकारी

  • आगम ग्रंथ: 45 ग्रंथों का संग्रह, जिसे श्वेतांबर परंपरा में पवित्र माना जाता है।
  • षट्खंडागम: दिगंबर परंपरा का मुख्य ग्रंथ, जिसमें कर्म सिद्धांत का विशेष विवरण है।
  • समयसार: आत्मा और उसकी शुद्धि के लिए सबसे प्रभावशाली ग्रंथ।

सारांश

जैन धर्म के ग्रंथ, जैसे आगम ग्रंथ, षट्खंडागम, और तत्त्वार्थसूत्र, न केवल धार्मिक जीवन को मार्गदर्शित करते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी दिखाते हैं। यह साहित्य जैन धर्म के अनुयायियों को सत्य, अहिंसा, और आत्म-अनुशासन के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

संदर्भ:

Author: Jain Sattva
Jain Sattva writes about Jain culture. Explore teachings, rituals, and philosophy for a deeper understanding of this ancient faith.

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